पारसनाथ: जैन धर्म का पवित्र तीर्थस्थल
पारसनाथ (Parasnath) झारखंड राज्य के गिरिडीह जिले में स्थित एक प्रसिद्ध पहाड़ी और तीर्थस्थल है। इसे श्री सम्मेद शिखरजी के नाम से भी जाना जाता है और यह जैन धर्म के 24 तीर्थस्थलों में से एक है। पारसनाथ पर्वत की ऊंचाई 1365 मीटर है, जो झारखंड की सबसे ऊंची चोटी है।
पारसनाथ का धार्मिक महत्व
पारसनाथ जैन धर्म के लिए अत्यधिक पवित्र स्थल है। यह वह स्थान है जहां 24 में से 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष (निर्वाण) प्राप्त किया। इसलिए इसे जैन धर्म में मोक्षभूमि के रूप में जाना जाता है। यहां कई जैन मंदिर स्थित हैं, जिनमें तीर्थंकरों के पदचिन्ह और उनकी स्मृतियां संरक्षित हैं।
पारसनाथ यात्रा और पर्व
जैन धर्म के अनुयायियों के लिए पारसनाथ एक प्रमुख यात्रा स्थल है। हर साल हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं। यहां की यात्रा पैदल की जाती है, जो श्रद्धालुओं के लिए एक धार्मिक और आत्मिक अनुभव प्रदान करती है। पर्वत पर स्थित मुख्य मंदिर तक पहुंचने के लिए 9-10 किमी की यात्रा करनी पड़ती है।
पारसनाथ का प्राकृतिक सौंदर्य
पारसनाथ न केवल धार्मिक स्थल है, बल्कि यह प्राकृतिक दृष्टि से भी बेहद आकर्षक है। पर्वत चारों ओर से हरियाली और घने जंगलों से घिरा हुआ है। यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त का नज़ारा अत्यंत मनोरम होता है। ट्रेकिंग प्रेमियों के लिए यह स्थान रोमांचक अनुभव प्रदान करता है।
कैसे पहुंचें पारसनाथ?
- रेल मार्ग: पारसनाथ रेलवे स्टेशन गिरिडीह और धनबाद के बीच स्थित है। यह देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
- सड़क मार्ग: गिरिडीह और धनबाद से पारसनाथ तक सड़क मार्ग भी उपलब्ध है।
- हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा रांची है, जो लगभग 190 किमी दूर है।
सुझावित यात्रा समय
पारसनाथ की यात्रा के लिए सर्दियों का समय (अक्टूबर से फरवरी) सबसे उपयुक्त है। इस दौरान मौसम ठंडा और सुहावना रहता है, जो यात्रियों के लिए आरामदायक होता है।
पारसनाथ एक ऐसा स्थान है जो धर्म, प्रकृति और शांति का अद्भुत संगम है। यह जैन धर्म के अनुयायियों के लिए मोक्ष की पवित्र भूमि है और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग। अगर आप आत्मिक शांति और प्राकृतिक सुंदरता का अनुभव करना चाहते हैं, तो पारसनाथ की यात्रा अवश्य करें।